बताओ अब तुम्हारे वास्ते दर कौन खोलेगा, कहाँ भटकोगे लेकर ज़हर तुम ये अपने सीनों में, हमारे दिल से निकले हो तो बस जाओ यहाँ आकर, अभी थोड़ी सी गुंजाईश है मेरे आस्तीनों में। 😎😎😎🔥🔥🔥😎😎😎
ये तो लगता है मामूली अब, इससे क्या जान हमारी जानी है, इंसानों के ज़हर से गर हम बच निकले, फिर साँपों का ज़हर तो समझो पानी है। 😎😎😎🔥🔥🔥😎😎😎
नहीं औक़ात दो कौड़ी की जिनकी, वही मेयार मेरा तौलते हैं, मेरी आँखों पे है अँधों का पहरा, मुझे लंगड़े अपाहिज बोलते हैं। 😎😎😎🔥🔥🔥😎😎😎
नाचेंगे खुद ही मेरे इशारों पे एक दिन, जादू है ऐसा मेरी मोहब्बत की बीन में, और एक दिन तो खुल के सामने आओगे दोस्तों, कब तक छुपे रहोगे मेरी आस्तीन में। 😎😎😎🔥🔥🔥😎😎😎
सुनहरे दौर के ख्वाबों के ताबीरें नहीं बेचीं, थे जिसमे रंग मेहनत के वो तस्वीरें नहीं बेचीं, गुज़ारा कर लिया अपने लहू को बेचकर हमने, पर अपने बाप-दादाओं की जागीरें नहीं बेचीं। 😎😎😎🔥🔥🔥😎😎😎
ग़लत भी हूँ, अलग भी हूँ, उखाड़ लो जो उखाड़ सकते हो। 😎😎😎🔥🔥🔥😎😎😎
मिज़ाजी तौर पर अमृत से हम कुछ कम नहीं लेकिन, कभी गर ज़हर की फितरत में ढल जाएँ तो क्या होगा, हमारी आस्तीं में पलने वालो सोंच कर देखो, तुम्हारी आस्तीं में हम भी पल जाएँ तो क्या होगा। 😎😎😎🔥🔥🔥😎😎😎
किसी का सच भी अकेला लड़े ज़माने से, किसी के झूठ के लाखों वकील होते हैं, जहाँ जहाँ भी गए इज़्ज़ते मिली मुझे, पर अपने लोगों में आकर ज़लील होते हैं। 😎😎😎🔥🔥🔥😎😎😎
इत्र से कपड़ा महकाना कोई बड़ी बात नहीं, मज़ा तो तब है जब खुशबू आपके किरदार से आए। 😎😎😎🔥🔥🔥😎😎😎
ठुकरा दिया जिन्होंने मुझे मेरा वक़्त देखकर, ऐसा वक़्त लाऊँगा के मिलना पड़ेगा मुझसे वक़्त लेकर। 😎😎😎🔥🔥🔥😎😎😎